26 जून 1963 को सागर जिले के गांव दुगाहाकला मेंपिता गूलाब चंदजी तथा माता सुमित्रा वर्तमान में आर्यिका प्रवेश मति माताजी के यहां जिनका जन्म हुआ तथा नाम अजित कुमार रखा गया । बचपन से ही बहुत होनहार बालक अजीत ने हाई स्कूल तक शिक्षा प्राप्त की । 22फरवरी 81 को ब्रह्मचर्यव्रत आचार्य पुष्पदंत सागरजी से बंडा में लिया तथा घर बार त्याग कर आचार्य धर्म सागरजी महाराज के संघ में चले गए ।
4 अक्टूम्बर 1984 दशहरे के दिन मात्र 21 वर्ष की आयु में धर्म नगरी अजमेर में धर्म सागरजी महाराज से मुनि दिक्षा ले ली । आपके शिक्षा गुरु आचार्य कल्प श्रुत सागरजी थे जिनने आपको अध्ययन कराया ।
आपके दर्शन करने से यह पता लग जाता है कि वे दोनों गुरू कैसे थे । धर्म सागरजी जैसे ही बिना लागलपेट के बात करने वाले जिनके दरवाजे हर समय भक्तों के लिए खुले रहते हैं हर समय पढने पढाने पर ही जिनका ध्यान रहता है ऐसे प्रज्ञाश्रमण मुनि अमित सागरजी के संघ में अभी मुनि अनमोल सागर जी , अर्घ सागरजी तथा अमोघ सागरजी हैं ।अभी आपका प्रवास फिरोजाबाद में हो रहा है ।
आज हम यही भावना भाते हैं कि हे गुरूवर आप दीर्घायु हों ।आप इसी तरह हमें धर्मदेशना देते रहें आपका आशीर्वाद हम पर सदा बना रहे । ऐसे गुरूवर के चरणों में हम सभी का कोटि कोटि नमन वंदन नमोस्तु ।