रतलाम । अक्षय ततृीया पर शहर विधायक चेतन्य काश्यप के सुपुत्र सिद्धार्थ काश्यप ने वर्षीतप की दीर्घ तपस्या पूर्ण कर मुंबई में दादीजी श्रीमती तेजकुंवर बाई काश्यप के हाथों गन्ने का रस पीकर पारणा किया। उनके पारणे का यू ट्यूब एवं फेसबुक पर सीधा प्रसारण हुआ। पारणे में विधायक श्री काश्यप एवं श्रीमती नीता काश्यप ने रतलाम से ऑन लाइन सहभागिता की। कई प्रख्यात हस्तियों ने देश के विभिन्न हिस्सों से ऑनलाइन संदेश भेजकर दीर्घ तपस्वी सिद्धार्थ को शुभकामनाएं दी।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने सिद्धार्थ काश्यप के वर्षीतप की पूर्णता पर विशेष संदेश में कहा कि धार्मिक, सामाजिक और सेवा क्षेत्र के साथ राजनीती में विधायक चेतन्य काश्यप ने विशेष स्थान बनाया हैं। उनके सुपुत्र के वर्षीतप की पूर्णता के इस प्रसंग में उपस्थित होकर वे कई तपस्वियों के आराधना का अनुमोदना के सहभागी बनते, लेकिन वेश्विक महामारी के कारण यह संभव नहीं हो पाया। उन्होंने कहा जैन दर्शन में तपों का काफी महत्व है। अक्षय तृतीया पर प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेवजी द्वारा की गई तप की पूर्णता और पारणें का विशेष महत्व है। सिद्धार्थ काश्यप ने भगवान के जीवन एवं जैन दर्शन से प्रेरणा प्राप्त कर यह दीर्घ तप किया है। उनकी साधना और आचरण अनुमोदनीय हैं। इस प्रसंग पर वे उन हजारों वर्षीतप आराधकों के वर्षीतप की अनुमोदना करते है, जिनका पारणा आज होगा।
सिद्धार्थ काश्यप के पारणे का यू ट्यूब एवं फेसबुक पर सुबह 11 बजे बाद मुंबई से सीधा प्रसारण हुआ। आरंभ में समीक्षा काश्यप ने ऑन लाइन कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत की। विधायक श्री काश्यप ने कहा कि लोकसंत श्रीमद विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी म.सा.के आशीर्वाद एवं गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय नित्यसेन सूरीश्वरजी म.सा.की प्रेरणा से सिद्धार्थ ने वर्षीतप की दीर्घ तप आराधना पूर्ण की। परिवार द्वारा अक्षय तृतीया पर रतलाम में मालवा-निमाड के सभी वर्षीतप आराधकों का सामुहिक पारणा महोत्सव आयोजित था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते उसे निरस्त करना पडा। उन्होंने वर्षीतप पूर्णता पर ऑनलाइन शुभकामना देने उपस्थित हुए सभी हितेषियों का स्वागत किया। युवा संगीतकार सिद्धार्थ ने इस मौके पर तप आराधना से जुडा सुमधुर गीत प्रस्तुत किया। पारणे पश्चात परिजनों और मित्रांे के साथ शहरवासियों ने ऑनलाइन तप अनुमोदना की। इस दौरान श्रीमती पूर्वी सिद्धार्थ काश्यप, श्रवण काश्यप, अमि काश्पय एवं सारांश काश्यप आदि मौजूद थे।
महापुरूषों के मार्ग का अनुसरण-चिदम्बरानंदजी
सिद्धार्थ काश्यप के वर्षीतप की पूर्णता पर महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी चिदम्बरानन्दजी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि मार्ग वहीं होता है, जिसका अनुसरण महापुरूष करते है। जैन धर्म संसार में अहिंसा के लिए प्रसिद्ध है और कठोर तप के लिए जाना जाता है। तपस्या के लिए भगवान ऋषभदेव आदर्श पुरूष हैं। उनके द्वारा ही पहली बार वर्षीतप और अक्षय तृतीया पर पारणा किया गया था। इसके माध्यम से सिद्धार्थ ने जैन धर्म में संयमित जीवन की जो अवधारणा बताई गई है, उसका अनुसरण किया है।संपन्नता के बीच त्याग-तप अनुकरणीय-डॉ.वैदिक
प्रसिद्ध पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक और विचारक डॉ.वैदप्रताप वैदिक ने अपने संदेश में कहा कि संपन्न घर में युवा अवस्था में ऐसी दीर्घ तप आराधना करना बडी बात हैं। सिद्धार्थ का त्याग और तप दोनो अनुमोदनीय हैं। जैन दर्शन में इंद्रिय संयम पर जोर दिया गया हैं। इस तप में एक दिन छोडकर भोजन करना होता है। भोजन से बडा कोई आकर्षण नहीं और सिद्धार्थ ने इस तप से उस पर नियंत्रण करना सीखा है। इसके माध्यम से वे ग्रहस्थ होकर भी संत का जीवन जीने वाले बन गए है।
युवा पीढी के लिए प्रेरणास्पद
वर्षीतप पूर्णता पर सिद्धार्थ को अभा त्रिस्तुतित जैन श्री संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वागजी भाई वोहरा ने शुभकामनाएं दी। प्रसिद्ध अंर्तराष्ट्रीय गायिका मधुश्रीजी एवं राष्ट्रीय हॉकी खिलाडी नीररंजन नेगी ने भी ऑनलाइन शुभकामना संदेश भेजकर सिद्धार्थ की तप आराधना को युवा पीढी के लिए प्रेरणास्पद बताया। महामण्डलेश्वर चिदम्बरानंदजी व डॉ.वैदिक ने भी दी ऑनलाइन शुभकामना ।