सम्यक् निर्णय ले लेना । मालूम नहीं कब विवेक क्षीण हो जाए – आचार्य विशुद्धसागर जी

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? *हे मुमुक्षु ! आज तक जगत् की किसी वस्तु ने तुझसे यह नहीं कहा , ” आओ , मेरा सेवन करो “*?
?‍♂️ कैसे बेचारे भाग्यहीन लोग हैं , वस्तु कभी कहती नहीं कि मेरे पास आओ लेकिन तू वस्तु के पास जाता है । *वस्तु ने कभी नहीं कहा मेरा सेवन करो, सड़ा भी खाया है* गला भी खाया है । जो गले में अटक रहा था , उसे भी खाया है?‍♂️
? *जीना ही तो है , प्रासुक द्रव्य से भी जी सकता है । और जीते ही हैं , निर्ग्रथ मुनि जी रहे हैं कि नहीं जी रहे हैं ? जीवन जीने के लिए जगत् के बहुत सारे द्रव्यों का सेवन आवश्यक नहीं है*?
? #नरक_में_जाने_के_लिए_सारी_सामग्री_खानी_पड़ती_है?
? *जिनको बहुत खाने के भाव होते हों , अनेक बार खाने के भाव होते हों , तो ध्रुव सत्य है कि आप पुण्यक्षीण पुरुष हो* । ?
*#पुण्यपुरुष_अनेक_बार_नहीं_खाता_और_पुण्यपुरुष_अनेक_वस्तु_को_भी_नहीं_खाता*
? सर्वभक्षी जीव जगत् में हैं , उसका नाम है चींटी । *मिश्री से लेकर माँस तक खाती है चींटी*?
ये जीव था कौन ? जिसने नरदेह को प्राप्त करके भी नरत्व को नहीं समझा , संयम को नहीं जान सका
?‍♂️ जिसने सारे जगत् की चिमटी ली है , *वह ही बना है चींटी । तीव्र कषायी जीव , जिसको चिपक जाए चींटी , प्राण दे देगी , परन्तु छोड़ती नहीं है* ?
ये तीव्र कषायी जीव होते हैं जो कृष्ण लेश्या के अंशों में मरण करते हैं । *ऐसे नराधम पुरुष चींटी – जैसी पर्याय में जाते हैं* जिसको हर वस्तु में प्रीति है ।
? *ज्ञानियो ! जब तक विवेक जागृत है , बुद्धि काम कर रही है , तब तक निर्णय कर लेना*। जब तक विवेक काम कर रहा है ?

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