जिनके पूण्य प्रबल होते है उनकी दीक्षा होती है : 8 जनो ने जैनेश्वरी दीक्षा ली

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12122745_1636220806661459_5175666127327956854_nप्रतापगढ़ : 24-10-15 को शहरके जैन बोर्डिंग में चल रहे तीन दिवसीय महामस्तकाभिषेक जैनेश्वरी दीक्षा समारोह के अंतिम दिन शुक्रवार को आठ लोगों ने जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण की। आचार्य सुनील सागर महाराज की निश्रा सैकड़ों श्रद्धालुओं के साक्षी में 8 लोगों ने दीक्षा ग्रहण की, जिसमें दो व्यवसायी भी हैं। जिन्होंने अपना घर बार, रिश्ते नातों के साथ पहनने के वस्त्रों तक का भी त्याग कर दिया। अब इनके साथ केवल एक पिच्छी और कमंडल रहेगा।

तीन दिवसीय जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव के अंतिम दिन जैन बोर्डिंग में आठ लोगों ने संयम पथ अंगीकार किया। आचार्य सुनील सागर महाराज ने दीक्षा लेने की आज्ञा प्रदान की। उसके बाद नव दीक्षार्थियों का केशलोच और पिच्छी परिवर्तन कार्यक्रम हुआ। शहर ही नहीं आस-पास के इलाके में कभी इतनी जैनेश्वरी दीक्षा एक साथ नहीं हुई। इस मौके पर आचार्य सुनील सागर ने कहा कि दीक्षा लेने का काम इतना आसान नहीं है। दीक्षा लेने वाले साधक तो एक या दो होते हैं, लेकिन बाधक हजारों की संख्या में होते हैं। जो दीक्षा नहीं लेने देते हैं। कार्यक्रम में राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और विदेश में रहने वाले जैन समाज के अनेक श्रद्धालु भी सम्मिलित हुए। दीक्षार्थियों के लिए एक विशाल मंच बनाया गया था, जहां पर पिच्छी परिवर्तन केशलोच, विधान सहित अन्य धार्मिक क्रियाएं आचार्य श्री ने संपन्न करवाई। यहां पर सभी दीक्षार्थियों का नामकरण किया गया।12190873_1636220899994783_9137653118913616624_n

बिना पुण्य के दीक्षा नहीं मिलती

आचार्यसुनील सागर ने दीक्षा समारोह में कहा कि दिगंबर साधु समाज की नग्नता को ढंकने के लिए खुद वस्त्रों का त्याग कर देता है। दीक्षा हर किसी को नहीं मिलती, जिनके पुण्य प्रबल होते हैं, उनको ही दीक्षा मिलती है। अरिहंत प्रभु की कोई इच्छा नहीं होती। जो प्रभु होते हैं, उनकी परीक्षा नहीं होती। साथ ही बिना पुण्य के कभी दीक्षा नहीं होती।

प्रतापगढ़. जैनसमाज के दीक्षा कार्यकम में केशलोचन के दौरान सैकड़ों की तादात में श्रद्धालु मौजूद थे। 

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